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आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे कि हमारे भारत की वन नीति (Indian Key Forest), उष्ण कटिबंधिय सदाबहार वन (Tropical forest), उष्ण कटिबंधिय पर्णपाती वन (Tropical Deciduous Forest), उष्ण कटिबंधिय शुष्क पर्णपाती वन (Tropical Dry Deciduous Forest), पर्वतीय वन (Mountain Forest), मरुस्थली वन (Desert Forest), दलदलीय वन (Marshy Forest), जंगल को बढ़ाने के लिए वानिकी करना (Forestry to increase Forest) को पूरे विस्तार से जानेंगे तो आर्टिकल के साथ शुरू से लेकर अंत तक बने रहें और ध्यान से पढ़ें इसमें आपको बहुत ही ज्यादा आसान भाषा में भारत की वन नीति (Indian Key Forest) क्या है? समझाया गया है वह भी इमेज के साथ तो चलिए शुरू करते हैं और जान लेते हैं कि भारतीय का वन (Indian Key Forest) क्या है?

भारतीय का वन (Indian Key Forest)

भारतीय का वन (Indian Key Forest)

     भारत में वन (Forest) अनुसंधान केन्द्र देहरादुन में है। सबसे ज्यादा वन मध्यप्रदेश में है। केन्द्रशासित प्रदेश में सबसे ज्यादा वन अण्डमान निकोबार में है। किसी भी क्षेत्र में 33% वन का होना आवश्यक है। प्रत्येक 3 साल पर वनों का रिपोर्ट जारी किया जाता है। हमलोगों के पास अब 23% से 24% ही वन बचा हुआ है। जबकि 33% जंगल होना चाहिए। हमलोग ज्यादा विकसित भी नहीं हैं, तब भी हमारे पास जंगल नहीं है क्योंकि, हम लोग सभी चीजों का उपयोग नहीं किया है। जबकि जापान में 66% जंगल है और वह हमसे बहुत आगे हैं। भारत उष्ण कटिबंधिय क्षेत्र में आता है। इसलिए यहां हर जंगल उष्णकटिबंधिय क्षेत्र में आता है।

उष्ण कटिबंधिय सदाबहार वन (Tropical forest)

     किसी भी वन को विकसित होने के लिए वर्षा तथा तापमान की जरूरत होती है। यहाँ वर्षा अच्छी खासी 200 cm से अधिक होती है और तापमान 22 से 23°C रहता है। यहाँ पेड़ की कई किस्में पाई जाती है। ऐसे क्षेत्र में सभी प्रकार की वनस्पति निकलती है और इन पेड़ों में पानी की कोई कमी नहीं रहती है। जिस कारण यहाँ पेड़ ज्यादा निकल जाते हैं लेकिन इन्हें धुप की कमी हो जाती है। धुप तो उसी को मिलेगा जो सबसे लम्बा होगा इसलिए यहाँ की वनस्पति बहुत तेजी से वृद्धि करते हैं। यहाँ के पेड़ पतले, लम्बे और सघन (Thin, Long and Dense) होते हैं। इनकी लकड़ियाँ कठोर होती है। इनको ज्यादा जरूरत वर्षा की होती है। 200cm से अधिक वर्षा विषुवत रेखा पर ही देखने को मिलते हैं। इसलिए सदाबहार वन ज्यादातर विषुवत रेखा पर ही देखने को मिलते हैं। इसके अलावा जहाँ सबसे अधिक वर्षा होगी वहाँ ये वन देखने को मिलेंगे।

     भारत में इस प्रकार की वनों का विकास पश्चिमी घाट पर्वत, मेघालय, तमिलनाडु, उत्तर पूर्वी पहाड़ी तथा अण्डमान निकोबार द्विप में हुआ है। यह वन साल (Year) भर हरे भरे रहते हैं। क्योंकि यहाँ के पेड़ पौधों में पतझर का समय भिन्न-भिन्न है। यहाँ के मिट्टी में ह्युमस की मात्रा बहुत अधिक होती है। जिस कारण यहाँ नये-नये पौधे जमकर इस वन को घना कर देते हैं। इनमें ज्यादातर रोजवुड, आयरनवुड, महोगनी, अबुनुस का वृक्ष पाया जाता है। इनकी लकड़ियाँ बहुत कठोर होती है। जिस वजह से इनका आर्थिक दोहन (economic exploitation) करना बहुत कठिन है। इसे वर्षा वन भी कहते हैं।

उष्ण कटिबंधिय सदाबहार वन (Tropical forest)

उष्ण कटिबंधिय पर्णपाती वन (Tropical Deciduous Forest)

     इस प्रकार के वनों का विकास वहाँ होता है। जहाँ 100 से 200 cm तक वर्षा होती है। लेकिन यहाँ का तापमान 25°C होता है। जिस कारण यहाँ गर्मी ज्यादा पड़ जाती है और पानी कम पड़ जाते हैं। भारत में सबसे अधिक यही पतझर वाले वन देखने को मिलते हैं। इनमें पतझर का मौसम एक साथ आ जाता है जिसमें विराम देखने को मिल जाता है। इस प्रकार के वनों का आर्थिक विदोहन सर्वाधिक होता है। इस वन के वृक्ष की लकड़ी मुलायम और मजबुत होती है। 

जैसे : आम, जामुन, साल, शीशम, सागवान महुआ । इस वन को मानसुनी वन भी कहते हैं।

उष्ण कटिबंधिय पर्णपाती वन (Tropical Deciduous Forest)

उष्ण कटिबंधिय शुष्क पर्णपाती वन (Tropical Dry Deciduous Forest)

     इन वनस्पतियों का विकास उस क्षेत्र में होता है। जहाँ 70 से 100 cm वर्षा होता है। इन वनस्पतियों में शुष्क काल की अवधि लम्बी होती है तथा वृक्ष सघन न होकर विरल होते हैं एवं पेड़ों के बीच घास भुमियाँ पाई जाती है। जिस कारण विशाल आकार वाले जानवरों के लिए इस वन का क्षेत्र अच्छा होता है। यहाँ बेल, पीपल, तेंदु खैर, बरगद, भोजपत्र, शखुआ वृक्ष पाये जाते हैं।

Note : पान और पान मसाला में इस्तेमाल होने वाले कत्था बनाने के लिए खैर वृक्ष की लकड़ी तथा बिड़ी बनाने के लिए तेंदु वृक्ष के पत्ते का उपयोग किया जाता है।

पर्वतीय वन (Mountain Forest)

     भारत में पाये जाने वाले पर्वतीय वन हिमालय एवं प्रायद्विपिय पठारी क्षेत्र में पाये जाते हैं। 2500 4000m की ऊँचाई पर ये वन पाये जाते हैं। यहाँ ठण्ड मायने रखता है। बर्फ से बचने के लिए इनका आकार कोणधारी या शंकुधारी हो जाता है। इसे कोणधारी, शंकुधारी तथा अल्पाइन वन भी कहते हैं। जब पर्वतों की ऊँचाई 4000m से अधिक हो जाती है तो वहाँ अत्यधिक बर्फ पड़ने के कारण वहां किसी भी प्रकार का पेड़ पौधों का निकलना मुश्किल हो जाता है।

पर्वतीय वन (Mountain Forest)

मरुस्थली वन (Desert Forest)

     यह वन उन क्षेत्रों में पाई जाती है। जहाँ वर्षा 50cm से कम होती है। ये वन ज्यादातद राजस्थान में देखने को मिलते हैं। इनमें काटे पाये जाते हैं।

दलदलीय वन (Marshy Forest)

     यहाँ पर दलदली मिट्टी पाई जाती है। यहाँ की वन की लकड़ियाँ बहुत मजबुत और कठोर होती है। यहाँ के पेड़ मिडियम साइज के होते हैं। ये दूर से सदाबहार वन की तरह ही दिखते हैं। ये बहुत घना होते हैं। नाव बनाने के लिए इसी वन की लकड़ी का प्रयोग होता है। ये वन पश्चिम बंगाल के सुन्दर वन डेल्टा में पाये जाते हैं।

जंगल को बढ़ाने के लिए वानिकी करना (Forestry to increase Forest)

सामाजिक वानिकी (Social forestry)

     सामाजिक वानिकी (Social forestry) में आम जनता को प्रेरित किया जाता है कि वो पेड़ लगाएं। 

कृषि वानिकी (Agro forestry)

     कृषि वानिकी (Agro forestry) का अर्थ होता है। एक ही भुमि पर कृषि फसल एवं वृक्ष प्रजाति को विधिपुर्वक रोपित कर दोनों की ऊपज लेकर आय बढ़ाना। खेती के साथ-साथ जंगल लगवाना । इसी कृषि को Eco family कृषि कहते हैं। 

सामुदायिक वानिकी (Community forestry)

सामुदायिक वानिकी (Community forestry) के द्वारा सरकार समुदाय के लोगों को लेकर सरकारी जमिन को चिह्नित कर जंगल लगवाती है और उन्हीं लोगों को उसकी रखवाली करना होता है और कृत्रिम जंगल बनवाया जाता है।

फर्म वानिकी (Firm forestry)

     फर्म वानिकी (Firm forestry) के अंतर्गत किसानों से ऐसे वन लगवाया जाता है। जिसका प्रयोग व्यापारिक महत्त्व और औषधी के लिए किया जा सके वन विभाग इसके लिए किसानों को निःशुल्क पौधा उपलब्ध कराती है।

शहरी वानिकी (Urban forestry)

     शहरों के इर्द-गिर्द व सार्वजनिक भुमि जैसे हरित पट्टी, पार्क, सड़कों के डिवाइडर, औद्योगिक और व व्यापारिक स्थलों पर वृक्ष लगाना और उनका प्रबंधन शहरी वानिकी के अंतर्गत आता है।

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Conclusion,

हमें उम्मीद है कि आप को अच्छी तरह से समझ में आ गया होगा कि हमारे भारत की वन नीति (Indian Key Forest), उष्ण कटिबंधिय सदाबहार वन (Tropical forest), उष्ण कटिबंधिय पर्णपाती वन (Tropical Deciduous Forest), उष्ण कटिबंधिय शुष्क पर्णपाती वन (Tropical Dry Deciduous Forest), पर्वतीय वन (Mountain Forest), मरुस्थली वन (Desert Forest), दलदलीय वन (Marshy Forest), जंगल को बढ़ाने के लिए वानिकी करना (Forestry to increase Forest) भी समझ में आ गया होगा अगर कोई जानकारी रह गई हो तो हमें Comment करके जरूर बताएं और अपने प्यारे दोस्त को भी जरूर Share करें जिससे यह जानकारी उन्हें भी आसान भाषा में प्राप्त हो सके और अपने सोशल मीडिया जैसे Facebook, WhatsApp, Telegram पर भी इन्हें जरूर शेयर करें तो मिलते हैं ऐसे ही information article के साथ जब तक के लिए बाय 

_जय हिंद जय भारत

अपना बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से बहुत धन्यवाद

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Hello friends, I am your friend Tarun Pratap Yadav, Technical Author & Owner of Super Study Hindi . Talking about my education, I am a regular student of BCA. I like to learn new technology and also things related to Subjects in detail and teach…

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