आज हम जानेंगे कि सूर्य की संरचना क्या है? (What is the Composition of the Sun) पूरे विस्तार से समझेंगे वह भी Images के साथ यह जानकारी आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होगी जो विद्यार्थी कॉम्पिटेटिव एक्जाम की तैयारी करते हैं उनके लिए और और जो विद्यार्थी बोर्ड का एग्जाम देने वाले हैं। उनके लिए अभी बहुत ही ज्यादा उपयोगी है शुरू से लेकर अंत तक इस आर्टिकल को बहुत ध्यान से पढ़िए इसमें बहुत ही आसान भाषा में आपको सुर्य की विस्तार से संरचना समझाई गई है तो चलिए जानते हैं सूर्य क्या है?
सूर्य (SUN) की संरचना क्या है |
सूर्य (SUN)
सूर्य हमारा सबसे निकटतम तारा है। सूर्य सौरमंडल के बीच में स्थित है सूर्य की आयु लगभग 15 वर्ष है जिसमें से सूर्य अब तक 5000000000 वर्ष (5 अरब वर्ष) की जीवन को जी चुका है। सूर्य के अंदर हाइड्रोजन (H) तथा हीलियम (He) का संलयन होता है जिससे इंधन प्राप्त होता है। जो इंदन होता है वह प्लाज्मा अवस्था में पाया जाता है।
आंतरिक संरचना के आधार पर सूर्य को हम 3 भाग में बांटते हैं जो कुछ इस प्रकार हैं :–
- Core
- Reductive zone (विकिरण मंडल)
- conveactive zone (संवहन मंडल)
तो चलिए अब हम इन तीनों को विस्तार में अच्छी तरीके से समझते हैं।
Core
Core सूर्य के बीच का भाग है। इसका तापमान लगभग 15 मिलियन सेल्सियस है। इसी में हाइड्रोजन (H) का संलयन हीलियम (He) में होता है और इंधन प्राप्त होता है। इनकी अवस्था प्लाज्मा अवस्था होती है।
Reductive zone (विकिरण मंडल)
Core में हुए संलयन के फलस्वरूप कई प्रकार की किरणें निकलती हैं जो Reductive zone में दिखती है। इसमें गामा किरणें, अल्फा किरणें तथा फोटोन भी पाया जाता है। अल्फा और गामा किरणें हम तक पहुंच नहीं पाते हैं परंतु फोटोन किरण हम तक आराम से पहुंच सकती है जिसे हम आम भाषा में प्रकाश भी कह सकते हैं।
Conveactive zone (संवहन मंडल)
इसमें हाइड्रोजन पेरॉक्साइड के बने Cell पाए जाते हैं जो अंदर की ओर बढ़े तथा बाहर की और छोटे होते हैं। जैसे कि आप नीचे इमेज में देख सकते हैं इस इमेज को ध्यान से एक बार पढ़िए। इससे आपको आराम से सूर्य की आंतरिक संरचना का पता चल जाता है तो चलिए अब आगे जानते हैं सौर ज्वाला क्या है?
Sun |
सौर ज्वाला ( Solar Flame )
जब Core में बहुत अधिक ऊर्जा बन जाती है तो वह सूर्य की तीन परतों को पार करके हाइड्रोजन पेरॉक्साइड की बनी Cell को चीरती हुई सूर्य की सतह को छोड़कर सौरमंडल में प्रवेश कर जाती है। जिस ज्वाला के आसपास तापमान बहुत कम है उसके पास उर्जा भी बहुत कम रहती है और उसको सूर्य वापस अपनी ओर खींच लेता है। जिस ज्वाला के पास तापमान अधिक रहता है वह सौरमंडल में दूसरे ग्रहों तक पहुंच जाती है। जब यह पृथ्वी के करीब से गुजरता है, तो गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में आकर पृथ्वी पर गिरने लगता है, किंतु वायुमंडल इसे विचलित कर देता है और पृथ्वी को जलने से रोक लेता है। इस कारण कुछ घटनाएं उत्पन्न होती हैं।
पृथ्वी पर संचार यानी फोन पर बात करने में कठिनाई।
Vaslur
जब सौर ज्वाला पृथ्वी के पास से गुजरते हैं तो उसमें कुछ आवाज निकलती हैं, जिस आवाज को हम Vaslur कहते हैं।
अरोरा
जब सौर ज्वाला से प्रकाश उत्पन्न होता है उसी प्रकाश को हम अरोड़ा कहते हैं।
औरोरा बोरियोलिस
जब संवहन मंडल से निकली सौर ज्वाला पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध से गुजरती हैं, तो उसे हम औरोरा बोरियोलिस इस कहते हैं।
औरोरा ऑस्ट्रेसिस
जब संवहन मंडल से निकली सौर ज्वाला पृथ्वी के दक्षिण गोलार्ध से गुजरती है, तो उसे हम औरोरा ऑस्ट्रेलिस कहते हैं।
Solar Spot & Sun Spot (सौर कलंक)
वह सौर ज्वाला जिसका तापमान कम था और उसके पास उर्जा भी कम थी जिससे सूर्य गुरुत्वाकर्षण के कारण वापस अपनी और खींच लेता है। यह दो Cell के बीच में खाली जगह के अंदर प्रवेश करता है। इस का तापमान 4000 डिग्री सेल्सियस होता है जबकि सौर ज्वाला का तापमान 6000 डिग्री सेल्सियस होता है अतः इस का तापमान अपेक्षाकृत क्रम में होता है अतः यह एक धब्बा के समान दिखता है, जिसे सौर कलंक कहते हैं।
Sun Spot Cycle (सौर कलंक चक्र)
सौर ज्वाला सूर्य की विश्वत रेखा ( 0 डिग्री से 40 डिग्री ) अक्षांश दो दिशा तक जाती है। इसे जाने में 5.5 वर्ष तथा आने में 5.5 वर्ष लगता है अतः एक Sun Spot Cycle (सौर कलंक चक्र) पूरा करने में 11 वर्ष का समय लगता है। 2013 में 23 वा Sun Spot Cycle (सौर कलंक चक्र) पूरा हुआ था। वर्तमान में 24 वा साइकिल चल रहा है, एक साइकिल में 11 वर्ष में 100 Solar Spot (Soler Event) होते हैं।
Sun Spot Cycle (सौर कलंक चक्र) |
Magnetic Arc (चुंबकीय चार्ट)
जब Sun Spot बनता है तो वहां की चुंबकीय क्षमता बढ़ जाती है। इस चुंबकीय किरणों को ध्रुव अपनी और खींच लेता है जिसे Magnetic Arc (चुंबकीय चार्ट) कहते हैं। हमने सूर्य की आंतरिक परत को जाना अब हम जानते हैं कि सूर्य की बाहरी परत क्या है।
सूर्य की बाहरी परत
सूर्य के बाहर भी तीन ही परत होती हैं जो कुछ इस प्रकार है :
- प्रकाश मंडल (Photosphere)
- वर्ण मंडल (Cromosphere)
- क्रीट / मुकुट (Corona)
इन तीनों को विस्तार में समझने की कोशिश करते हैं—
प्रकाश मंडल (Photosphere)
यह सूर्य का दिखाई पड़ने वाला ऊपरी भाग है। जिस का तापमान 6000 डिग्री सेल्सियस होता है।
वर्ण मंडल (Cromosphere)
यह सूर्य के बाहरी परत के आधार पर बीच का भाग है। जिस का तापमान 92400 डिग्री सेल्सियस होता है।
क्रीट / मुकुट (Corona)
यहां सूर्य की सबसे बाहरी परत है, जो लपट के समान होती है इसे केवल सूर्य ग्रहण के समय देखा जाता है। इसका तापमान 27 lac°C होता है।
- सूर्य में 75% हाइड्रोजन पेरॉक्साइड तथा 24% हिलियम है।
- शेष तत्वों की मात्रा 1% में ही निहित है।
- सूर्य का द्रव्यमान पृथ्वी से 332000 गुना है।
- सूर्य का जो व्यास है वह पृथ्वी से 109 गुना है।
- सूर्य का गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी से 28 गुना है।
- सूर्य का घनत्व पृथ्वी से 20 गुना यानी (100 g/cm³) का है।
- सुर्य से प्रति सेकंड 10²⁶ जून ऊर्जा निकलती है।
- सूर्य पश्चिम से पूरब घूमता है।
- सूर्य का विषुवत रेखीय भाग 25 दिन में घूमता कर लेता है।
- सूर्य का ध्रुवीय भाग 31 दिन में घूमता करता है।
Conclusion,
अपना बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से बहुत धन्यवाद