आज इस Artical में हम जानेंगे की तारा (Star) क्या है और तारा की उत्पति और अंत कैसे होती हैं, पूरे विस्तार से समझेंगे तो चलिए आगे बढ़ते हैं।
तारा (Star)
तारा की बात करे तो ऐसा आकाशीय पिण्ड जिसके पास अपनी खुद की उष्मा(Heat) और खुद का प्रकाश(Light) हो तारा उसे हम तारा कहते है। अगर मैं आपसे पुछु की क्या सूर्य एक तारा है और चंद्रमा एक तारा है तो आपका जवाब क्या होगा तो चलिए मैं आपको बताता हूं जो सूर्य है उसमें खुद की उष्मा है और खुद का ही प्रकाश है तो वह एक तारा हुआ परंतु जो चंद्रमा है उस पर ना ही खुद की उष्मा है और ना ही प्रकाश तो इस प्रकार वह तारा नहीं हुआ वह सूर्य की रोशनी से हमें पृथ्वी तक दिखाई देता है।
तारा की उत्पति (origin of star)
हमने जाना कि तारा क्या होता है अब हम जानते हैं कि तारा की उत्पत्ति किस प्रकार होती है तारा बनने से पहले एक विरल गैस का गोला होता है विरल गैस का मतलब बहुत सारा गैसों का मिश्रण जिसे हम विरल गैस कहते हैं जब विरल गैस केंद्रित होकर पास पास आ जाते हैं तो वह घने बादल के समान छा जाते है और आज–पास आने के कारण इन में गर्मी उत्पन्न हो जाती है और आग पकड़ लेता है जिससे निहारिका कहते हैं जब इस निहारिका में संलयन विधि द्वारा दहन की क्रिया प्रारंभ हो जाती है तो वह तारा का रूप ले लेती है तारे में हाइड्रोजन का संलयन हीलियम से होता है और ईंधन की उत्पत्ति होती है तारे में इंधन प्लाज्मा अवस्था में होता है तारे का रंग उसके प्रश्न तापमान पर निर्भर करता है जिसके रंग से हम यह पता कर सकते हैं कि वह कितना गर्म या ठंडा है, तो चलिए जानते हैं अगर तारा लाल रंग का है तो उसका ताप निम्न होगा (6000°C) अगर सफेद रंग का है तो उसका ताप मीडियम रहेगा और नीले रंग का है तो उसका तापमान अत्यधिक रहेगा तारों का भविष्य उसके प्रारंभिक द्रव्यमान पर निर्भर करता है तो चलिए अब जानते हैं कि लाल दानव क्या होता है।
निहारिका
जब बहुत सारे अलग-अलग गैस पास पास आ जाते हैं जब पास पास आते हैं तो उन्हें गर्मी उत्पन्न हो जाती है और आग पकड़ लेता है जिसे हम निहारिका कहते हैं।
लाल दानव (Red Demon)
जब तारा का इंधन समाप्त हो जाता है तो वह लाल दानव का रूप ले लेता है और लाल दानव का आकार बड़ा होता है अगर लाल दानव का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान की चंद्रशेखर सीमा 1.44 गुना से छोटा है तो वह श्वेत वामन बनेगा और यदि लाल दानव का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान की चंद्रशेखर सीमा 1.44 गुना से बड़ा है तो वह अभिनव तारा का रूप लेगा तो चलिए जानते हैं कि श्वेत वामन, काला बामन, और अभिनव तारा क्या होते हैं।
श्वेत वामन (White dwarf)
इसे हम जीवाश्म तारा भी कहते हैं छोटा तारा अंतिम रूप से श्वेत वामन अवस्था में ही चमकता है।
काला वामन (Black dwarf)
श्वेत वामन जब चमकना छोड़ देता है तो वह काला बामन का रूप ले लेता है इस प्रकार छोटे तारों का अंत हो जाता है।
अभिनव तारा
इसमें कार्बन जैसे हल्के पदार्थ लोहा जैसे भारी पदार्थ में परिवर्तित होने लगते हैं जिस कारण यह विस्फोट करने लगते हैं, अतः इसमें विस्फोट होने के कारण इसे विस्फोटक तारा भी कहते हैं। विस्फोट के बाद यह न्यूट्रॉन तारा का रूप ले लेता है।
न्यूट्रॉन तारा
न्यूट्रॉन तारा विस्फोट के बाद बनता है इसका घनत्व अत्यधिक होता है और आकार छोटा होता है।
पल्सर
जब तारा चमकता और बुझता रहता है उसमें कुछ संख्या में विद्युत चुंबकीय तरंगे निकलती है पल्सर आरएस अपने आप पर बहुत तेज घूमते हैं।
क्वेसर
यह तारों की लगभग अंतिम अवस्था होती है कोई असर की क्षमता अधिक होती है
ब्लैक होल
ब्लैक होल इसका घनत्व बहुत अधिक होता है या प्रकाश को भी गुजरने नहीं देता यदि हम ब्लैक को सामने रखें और उससे प्रकाश गुजारे तो वह आर पार नहीं हो सकता इसकी खोज चंद्रशेखर ने की थी ब्लैक होल की चुंबकीय क्षमता भी अत्यधिक होती है यह श्वेत वामन और काला भवन को भी अपनी और खींचता है अतः तारों का अंत ब्लैक होल के रूप में हो जाता है।
उम्मीद है कि सारे प्रश्नों का जवाब आपको मिल गया होगा। यह article आपको कैसा लगा हमें comments में जरूर बताएं और अपने दोस्तों को भी जरूर Share करें जिससे यह जानकारी उन्हें भी अच्छी तरह से प्राप्त हो सके तो मिलते हैं, ऐसे ही एक और नए article के साथ जब तक के लिए बाय,
_जय हिंद जय भारत
अपना बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से बहुत धन्यवाद