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उल्का व उल्कापिंड क्या होते हैं? (What are Meteors and Meteorites?) क्षुद्र ग्रह (Asteroide) क्या होते हैं?उल्का/उल्कापिंड (Metoir)बोलाइटउल्का/उल्कापिंड (Metoir) के प्रमुख प्रभावधूमकेतु / पुच्छलतारा (Commet)

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    आज हम जानेंगे की उल्का व उल्कापिंड क्या होते हैं? (What are Meteors and Meteorites?) और इनसे जुड़ी सारे जरूरी जानकारी पूरे विस्तार से समझेंगे तो बने रहिए शुरू से लेकर अंत तक जिससे हम आपको उल्का व उल्कापिंड क्या होते हैं? पुरी जानकारी आसान भाषा में इमेज के साथ समझा सके तो चलिए शुरू करते हैं और जान लेते हैं पहले की क्षुद्र ग्रह (Asteroide) क्या होते हैं?

उल्का व उल्कापिंड क्या होते हैं? (What are Meteors and Meteorites?)

क्षुद्र ग्रह (Asteroide)

     क्षुद्र ग्रह (Asteroide) मंगल तथा बृहस्पति ग्रह की कक्षा में घूमते हैं यह ग्रहों के टूटे हुए भाग हैं। किंतु मंगल तथा बृहस्पति के गुरुत्वाकर्षण के कारण यह इन दोनों ग्रहों के बीच में फस जाते हैं क्षुद्र ग्रह (Asteroide) वरुण ग्रह के बाद भी दिखाई पड़ते हैं। इस इमेज के माध्यम से आप समझ सकते हैं। तो आप समझ गए होंगे की क्षुद्र ग्रह (Asteroide) क्या है? अब हम जान लेते हैं कि उल्का (Metoir) किसे कहते हैं?

क्षुद्र ग्रह (Asteroide)

Sorry Friend : गलती से Image में क्षुद्र ग्रह की जगह शुद्र ग्रह लिखा गया है। कृपया शुद्र ग्रह को क्षुद्र ग्रह पढ़े।

उल्का/उल्कापिंड (Metoir)

     क्षुद्र ग्रह (Asteroide) को मंगल ग्रह के गुरुत्वाकर्षण के कारण खींच लेता है और स्वयं आगे बढ़ जाता है। यह क्षुद्र ग्रह (Asteroide) पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर जाता है। वायुमंडल में घर्षण होने के कारण यह जलने लगते हैं। जिसे हम टूटता हुआ तारा या तारे जमीन पर भी कहा जाता है। जब यह उल्का पृथ्वी पर गिर जाते हैं तब इन्हें हम उल्कापिंड कहते हैं। उल्कापिंड के कारण गड्ढे का निर्माण हो जाता है। जिसे क्रेटर कहते हैं। जिनके कुछ उदाहरण :

  • लोनार झील
  • दक्षिण अफ्रीका का नेटाल 
  • USA का एरिजोना (सबसे बड़ा) 

इजिप्टा नामक उल्कापिंड के गिरने से ही डायनासोर की मृत्यु हो गई थी और वहां प्रशांत महासागर का निर्माण हो गया है। जो उल्का होते है, वह पृथ्वी के घूमने की दिशा में गिरते हैं जिसके के कारण इनकी गति 72 किलोमीटर प्रति सेकंड (72 km/sec) हो जाती है। अब हम जानते हैं कि बोलाइट क्या होते हैं?

उल्का/उल्कापिंड (Metoir)

बोलाइट

     जब उल्का पृथ्वी के घूमने की दिशा के विपरीत गिरता है तब उसे बोलाइट कहते हैं। यह अत्यधिक चमकीला दिखता है। इसकी गति 12 किलोमीटर प्रति सेकंड (12 km/sec) होती है। जब यह पृथ्वी पर गिरते है, तो उसे एक टेक्टाइट कहते हैं।

उल्का/उल्कापिंड (Metoir) के प्रमुख प्रभाव

  • जब यह वायुमंडल में प्रवेश करते हैं, तो घूमने के कारण इनका चूर्ण बन जाता है जिस कारण Red Rain होते है।
  • जब यह वायुमंडल में प्रवेश करते हैं, तो घर्षण के कारण जलने लगते हैं। जिसे कारण तापमान बढ़ जाता है और Global Warming होती है।
  • इनके गिरने से पृथ्वी का द्रव्यमान बढ़ जाता है, जिस कारण गुरुत्वाकर्षण भी बढ़ जाता है।
  • इनके गिरने से पृथ्वी की घूमने की गति कम होती है। 900 मिलियन वर्ष पूर्व पृथ्वी 18 घंटे में अपने अक्ष पर घूमती थी अर्थात दिन की अवधि 18 घंटे थी।
  • 41000 वर्ष पूर्व पृथ्वी 21 डिग्री (21°)  झुकी हुई थी जो वर्तमान में 24 डिग्री (24°) हो चुकी है। जिसे हम (23½°) पर गणना करते हैं।

पृथ्वी का झुकाव 

हमने जाना कि उल्कापिंड के प्रभाव क्या-क्या होते हैं? हम जानते हैं कि धूमकेतु / पुच्छलतारा (Commet) किसे कहते हैं?

धूमकेतु / पुच्छलतारा (Commet)

     यह धूल कण के बने होते हैं तथा सूर्य का चक्कर लगाते हैं। जब यह सूर्य के समीप जाते हैं, तो अधिक तापमान पाकर जलने लगते हैं या चमकने लगते हैं। इनका पूछ सदैव सूर्य के विपरीत दिशा में होता है। 

धूमकेतु, पुच्छलतारा,Commet

     पुच्छलतारा की खोज टाईको को ने किया था। पुच्छलतारा भी सूर्य का चक्कर लगाते हैं किंतु यह किसी दूसरे ग्रह की कक्षा को नहीं काटते क्योंकि इनकी कक्षा और अन्य ग्रहों की कक्षा ऊपर नीचे होती है। सेकी नामक पुच्छलतारा दिन में हमें दिखाई देता है। एकी॔ नामक पुच्छलतारा 3 साल में दिखता है। काहुतेक नामक पुच्छलतारा 7600 वर्ष में दिखता है। हेली नामक पुच्छलतारा 76 वर्ष में दिखता है। यह 3 फरवरी 2062 में दिखेगा जबकि इससे पहले वह 9 फरवरी 1986 में दिखा था। 

  • टॉलमी ने बताया कि सूर्य पृथ्वी का चक्कर लगाता है। 
  • कॉपरनिकस ने सौरमंडल की खोज की और बताया कि पृथ्वी तथा अन्य ग्रह सूर्य का चक्कर लगाते हैं। 
  • कैपलर ने ग्रहों की गति का सिद्धांत दिया और कहा कि ग्रह दीर्घवृत्त पर घूमते हैं और जब सूर्य के करीब आते हैं तो इनकी चाल बढ़ जाती है।

कैपलर ने ग्रहों की गति का सिद्धांत (दीर्घवृत्त)

  • गैलीलियो ने दूरदर्शी बनाकर इस सिद्धांत को सिद्ध कर दिया।
  • हबल नामक दूरबीन से ब्रह्मांड के विस्तारित होने का पता हमें चलता है।

Conclusion,

हमें उम्मीद है कि आप को अच्छी तरह से समझ में आ गया होगा कि उल्का व उल्कापिंड क्या होते हैं? (What are Meteors and Meteorites?), क्षुद्र ग्रह (Asteroide) क्या होते हैं?, उल्का/उल्कापिंड (Metoir), बोलाइट, उल्का/उल्कापिंड (Metoir) के प्रमुख प्रभाव, धूमकेतु / पुच्छलतारा (Commet) भी समझ में आ गया होगा अगर कोई जानकारी रह गई हो तो हमें Comment करके जरूर बताएं और अपने प्यारे दोस्त को भी जरूर Share करें जिससे यह जानकारी उन्हें भी आसान भाषा में प्राप्त हो सके और अपने सोशल मीडिया जैसे Facebook, WhatsApp, Telegram पर भी इन्हें जरूर शेयर करें तो मिलते हैं ऐसे ही information article के साथ जब तक के लिए बाय 

_जय हिंद जय भारत

अपना बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से बहुत धन्यवाद

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Hello friends, I am your friend Tarun Pratap Yadav, Technical Author & Owner of Super Study Hindi . Talking about my education, I am a regular student of BCA. I like to learn new technology and also things related to Subjects in detail and teach…

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