आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे कि तारामंडल क्या है? और इससे जुड़े सभी विशेष बातें पूरे विस्तार से और आसान भाषा में समझेंगे तो शुरू से लेकर अंत तक इस आर्टिकल के आराम से पढ़ें जिससे आपको अच्छी तरह से समझ में आ जाएगा, तो चलिए जानते हैं। तारामंडल क्या है?
Planetarium |
तारामंडल (Planetarium)
अगर हम तारामंडल की बात करें तो सूर्य के कुछ दूरी पर स्थित तारों के समूह के कारण बनने वाले विशेष आकृतियों को तारामंडल कहते हैं। इसकी संख्या वर्तमान में अभी 88 हैं। सबसे प्रमुख तारामंडल सेंट्रो और हाइड्रा है और बता दे कि सबसे बड़ा तारामंडल हम हाइड्रा को कहते हैं तो चलिए आगे जानते हैं कि ध्रुव तारा क्या होता है?
जरुर जाने : तारा (Star) क्या है और तारा की उत्पति और अंत कैसे होती हैं।
ध्रुव तारा (Poller Star)
यह सदैव उत्तर दिशा में दिखता है क्योंकि यह पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव पर होता है प्राचीन काल में इसका प्रयोग दिशा ज्ञात करने में किया जाता था अतः इसे दिशा सूर्य सूचक भी कहते हैं अब हम जानते हैं कि सायरस क्या है?
साइरस (Day star)
साइरस की बात करें तो यह सबसे चमकीला तारा है इसे ओसियन के माध्यम से खोजा जाता है अब हम जान लेते हैं कि हंटर तारामंडल क्या है?
हंटर तारामंडल (Orion)
हंटर तारा एक शिकारी की तरह दिखता है। इसे मृग भी कहते हैं। इसके बीच मे तारों की अधिक संख्या है। जिससे दक्षिण पश्चिम में साइरस तारा होता है। नीचे हंटर तारा का मानचित्र दिखाया गया है इसे आप ध्यान से समझ सकते हैं। आगे जानते हैं कि वृहद सप्त ऋषि क्या है?
हंटर तारा(Orion) |
वृहद सप्त ऋषि (Ursa major)
वृहद सप्त ऋषि 7 तारों का एक समूह है। इसके ऊपरी तारे के ठीक सामने ध्रुव तारा अवस्थित रहता है। क्या आप जानते हैं कि लघु सप्त ऋषि क्या होता है?, चलिए जानते हैं।
लघु सप्त ऋषि (Ursa minor)
लघु सप्त ऋषि भी 7 तारों का एक समूह है। किंतु यह सब वृहद सप्त ऋषि के उल्टे आकार का होता है। इस के सहयोग से भी दूर के तारा को ढूंढा जाता है अब हम जान लेते हैं की नक्षत्र क्या होते हैं?
नीचे वृहद सप्त ऋषि (Ursa major) और लघु सप्त ऋषि (Ursa minor)के कुछ मानचित्र दिखाए गए हैं जिसे आप ध्यान से देख कर अनुमान लगा सकते हैं।
वृहद सप्त ऋषि (Ursa major) और लघु सप्त ऋषि (Ursa minor) |
नक्षत्र
हमारे सूर्य के समीप तारों के समूह को हम नक्षत्र कहते हैं। इसकी संख्या 27 होती है। हमारा सूर्य 1 महीने में 2.25 नक्षत्र को पार करता है। इसका प्रभाव भारतीय ज्योतिष पर देखा जाता है।
ब्रह्मांड की उत्पत्ति का सिद्धांत (Theory of the Origin of The Universe)
बेल्जियम के पादरी जॉर्ज लेवोजेयर ने महाविस्फोट (Big Bang Theory) का सिद्धांत दिया था। इनके अनुसार 15 मिलियन वर्ष पहले एक अति उच्च घनत्व वाले तारे में महाविस्फोट हुआ था। इसी विस्फोट के फलस्वरूप कई आवेशित कण जैसे– इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन व न्यूट्रॉन का निर्माण हुआ। इसी विस्फोट के बाद स्पेस का निर्माण हुआ तथा समय की गणना प्रारंभ हुई। और आपस में सकेंद्रित होकर तारों का निर्माण करने लगे। कई तारों से मिलकर आकाशगंगा का निर्माण होने लगा तीन आकाशगंगा मिलकर सुपरक्लस्टर का निर्माण कर लिए और कई सुपरक्लस्टर मिलाकर ब्रह्मांड बना। हबल नामक वैज्ञानिक ने बताया कि यह ब्रह्मांड दिन पर दिन विस्तारित होता जा रहा है। अंतरिक्ष में छोड़े गए हबल नामक दूरदर्शी में इस विस्तार का पता चलता है।
जरुर जाने : आकाश गंगा (AakashGanga) किसे कहते हैं। मंदाकिनी, देवयानी, NGC-M-33 क्या होता हैं।
विद्वानों का मानना है, कि ब्रह्मांड को विस्तारित करने वाली तो कोई शक्ति है, जो इसे खींच रही है। अतः जब यह शक्ति समाप्त होगी तो ब्रह्मांड दोबारा सिकुड़ता चला जाएगा और सिकुड़ कर पुनः अपनी प्रारंभिक अवस्था में चला जाएगा तब हम इस घटना को Super Crunch कहेंगे।
ब्रह्मांड की उत्पत्ति का सिद्धांत (Theory of the Origin of The Universe) |
सौरमंडल की उत्पत्ति संबंधित सिद्धांत (Theories Related to the Origin of the Solar System)
सूर्य तथा उसके आसपास के क्षेत्र को सौरमंडल कहा जाता है। इसकी उत्पत्ति संबंधित कई सिद्धांत प्रचलित हैं, जिनमें से तीन सिद्धांत निम्न है–
- Mono star (एक तारा सिद्धांत)
- Dual star theory
- Double star theory
अब हम इन तीनों सिद्धांतों को विस्तार से आगे समझते हैं।
Mono star (एक तारा सिद्धांत)
इस सिद्धांत के अनुसार सौरमंडल का निर्माण सूर्य के ही टुकड़ों से हुआ है। इस सिद्धांत को दो विद्वानों ने दिया था।
गैसीय सिद्धांत
इसे कांट महोदय जी ने दिया है, इनके अनुसार सूर्य के घूर्णन गति के कारण सूर्य के बाहरी परत अलग हो गया तथा ठंडा होकर ग्रहों का निर्माण कर लिया इस सिद्धांत को अस्वीकार कर दिया गया।
निहारिका सिद्धांत
इसे लाप्लास ने दिया इसके अनुसार सूर्य की बाहरी परत ठंडी हो गई किंतु आंतरिक परत गर्म बनी रही जिस कारण इसका बाहरी भाग टूटकर अलग हो गया और इसी अलग हुए भाग से ग्रह का निर्माण हुआ
Mono star (एक तारा सिद्धांत) |
इन दोनों सिद्धांत को नकार दिया गया क्योंकि ग्रह की संरचना सूर्य की संरचना से बहुत अलग पाई गई है।
Dual star theory
इस सिद्धांत के अनुसार, सौरमंडल का निर्माण 2 तारों से हुआ है इस सिद्धांत को दो विद्वानों ने दिया।
चेंबरसीन
इसके अनुसार सूर्य के समीप एक विशाल तारा था। जिसके गुरुत्वाकर्षण के कारण सूर्य का ऊपरी भाग टूट गया और ऊपरी भाग अलग हो गया जिससे सौरमंडल का निर्माण हो गया।
जींस
इसके अनुसार सूर्य के समीप एक बहुत बड़ा तारा था जिसका गुरुत्वाकर्षण के कारण सूर्य के ऊपरी भाग को अलग कर दिया। जब यह तारा सूर्य के समीप आया तो उसके बहुत बड़े भाग को सूर्य ने अलग-अलग कर दिया। जिससे ग्रहों का निर्माण हुआ।
इन दोनों सिद्धांतों को नकार दिया गया क्योंकि ग्रहों की संरचना सूर्य से बिल्कुल ही भिन्न है।
Dual star theory |
Double star Theory
इस सिद्धांत के अनुसार सौरमंडल का निर्माण सूर्य के अतिरिक्त 2 तारों से हुआ है। इस सिद्धांत को लीलीटर ने दिया इनके अनुसार सूर्य के अतिरिक्त दो तारे थे जिसमें एक तारा में विस्फोट हो गया और सूर्य के गुरुत्वाकर्षण से वह सूर्य के समीप आ गया और उससे ग्रहों का निर्माण हुआ जबकि दूसरा तारा ब्लैक हॉल में विलीन हो गया।
Double star Theory |
इस सिद्धांत को मान्यता प्राप्त है वर्तमान में ग्रह का स्वरूप उस विस्फोट तारा के समान है।✅
Conclusion,
हमें उम्मीद है कि आप को अच्छी तरह से समझ में आ गया होगा कि तारामंडल क्या है? और इससे जुड़ी कई जानकारी जैसे ध्रुव तारा, साइरस, हंटर तारामंडल, वृहद सप्त ऋषि, लघु सप्त ऋषि, नक्षत्र, ब्रह्मांड की उत्पत्ति का सिद्धांत और सौरमंडल की उत्पत्ति का सिद्धांत भी समझ में आ गया होगा अगर कोई जानकारी रह गई हो तो हमें Comment करके जरूर बताएं और अपने प्यारे दोस्त को भी जरूर Share करें जिससे यह जानकारी उन्हें भी आसान भाषा में प्राप्त हो सके और अपने सोशल मीडिया जैसे Facebook, WhatsApp, Telegram पर भी इन्हें जरूर शेयर करें तो मिलते हैं ऐसे ही information article के साथ जब तक के लिए बाय
_जय हिंद जय भारत
अपना बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से बहुत धन्यवाद