आज हम जानेंगे कि सौर मंडल क्या है और ग्रह उपग्रह क्या होते हैं सभी ग्रहों के बारे में और उपग्रह के बारे में पूरे विस्तार से समझेंगे तो आप शुरू से लेकर अंत तक अच्छी तरीके से समझने की कोशिश करें हम इसमें आसान से आसान भाषा में आप को समझाने की कोशिश करेंगे तो चलिए जान लेते हैं कि सौर मंडल क्या है?
सौर मंडल (Solar System) |
सौर मंडल (Solar System)
सौर मंडल सूर्य तथा उसके आसपास के ग्रह, उपग्रह तथा शुद्र ग्रह, धूमकेतु, उल्कापिंड, उल्का के संयुक्त समूह को हम सौरमंडल कहते हैं। सौरमंडल के केंद्र में सूर्य स्थित है और सौरमंडल में जनकतारा के रूप में सूर्य है। सौर मंडल के सभी पिंड सूर्य का चक्कर लगाते हैं। अब हम जान लेते हैं कि ग्रह क्या होते हैं?
ग्रह (The planet)
वैसा आकाशीय पिंड जिसके पास ना अपनी ऊष्मा को और ना ही अपना प्रकाश हो वह ऊष्मा तथा प्रकाश के लिए वह अपने निकटतम तारा सूर्य पर आधारित है। जिसे हम ग्रह कहते हैं। यह तारे पर आश्रित होता है। उसी का चक्कर लगाता है। प्रारंभ में ग्रहों की संख्या 9 थी किंतु वर्तमान में 8 ग्रह है।
ग्रहों को दो श्रेणियों में बैठते हैं जो निम्न है :–
- पार्थिव ग्रह (Teristrial)
- जोवियन ग्रह
अब हम इन दोनों को विस्तार से समझते हैं
पार्थिव ग्रह (Teristrial)
इन्हें आंतरिक ग्रह भी कहते हैं। यह पृथ्वी से समानता रखते हैं। इनका घनत्व अधिक होता है तथा वे ठोस अवस्था में होते हैं। इनके उपग्रह कम होते हैं या तो होते ही नहीं है इन ग्रहों की संख्या 4 हैं। जो कुछ इस प्रकार है :–
- बुध
- शुक्र
- पृथ्वी
- मंगल
अब हम आगे जानते हैं कि जोवियन ग्रह क्या होते हैं?
जोवियन ग्रह
इसे बाहरी ग्रह भी कहते हैं। यह बृहस्पति से समानता रखते हैं। उनका आकार बड़ा होता है किंतु घनत्व कम होता है यह गैस की अवस्था में पाए जाते हैं। इनके उपग्रहों की संख्या अत्यधिक होती हैं। बाहरी ग्रहों की संख्या चार हैं जो कुछ इस प्रकार हैं :–
- बृहस्पति
- शनी
- अरुण
- वरुण
अब हम प्लूटो ग्रह के बारे में विस्तार से समझते हैं। प्लूटो ग्रह क्या है?
प्लूटो (यम)
यह नौवा ग्रह था, किंतु 24 अगस्त 2006 को चेक गणराज्य की राजधानी प्रान में अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ की बैठक हुई जिसमें प्लूटो (यम) को ग्रह की श्रेणी से निकालकर बौना ग्रह में डाल दिया गया अभी प्लूटो (यम) का नाम 194940 है। प्लूटो को ग्रह की श्रेणी से निकालने के तीन कारण थे। जो कुछ इस प्रकार है :–
- इसका आकार अत्यधिक छोटा था।
- इसकी कक्षा दीर्घ वृत्तीय नहीं थी।
- इसकी कक्षा वरुण की कक्षा को काटती थी
प्लूटो के बारे में आप समझ चुके होंगे अब हम जान लेते हैं कि उपग्रह क्या होते हैं?
उपग्रह (Satellite)
उपग्रह के पास भी ऊष्मा और प्रकाश दोनों नहीं होते हैं। यह अपने निकटतम तारा से ऊष्मा और प्रकाश लेते हैं किंतु यह चक्कर अपने निकटतम ग्रह का लगाते हैं। जिस प्रकार पृथ्वी का चक्कर चंद्रमा लगाता है तो, पृथ्वी ग्रह और चक्कर लगाती हुई चंद्रमा उपग्रह है।
उपग्रह दो प्रकार के होते हैं :–
- प्राकृतिक उपग्रह
- कृत्रिम उपग्रह
प्राकृतिक उपग्रह
प्राकृतिक उपग्रह में चंद्रमा जैसे उपग्रह आते हैं।
कृतिम उपग्रह
कृत्रिम उपग्रह मानव द्वारा निर्मित होते हैं। संचार तथा मौसम की भविष्यवाणी कृत्रिम उपग्रह ही करते हैं।
"पृथ्वी" से दूरी के अनुसार ग्रहों का क्रम (Planets Order by distance from "Earth")
- शुक्र
- मंगल
- बुध
- बृहस्पति
- शनि
- अरुण
- वरुण
"सूर्य" से दूरी के अनुसार ग्रहों का क्रम (Planetary Order According to distance from the "Sun")
- बुध
- पृथ्वी
- बृहस्पति
- अरुण
- शुक्र
- मंगल
- शनि
- वरुण
आकार के अनुसार ग्रहों का क्रम (Order of Planets by Size)
- बृहस्पति
- शनि
- अरुण
- वरुण
- पृथ्वी
- शुक्र
- मंगल
- बुध
हम अपने छोटे आंखों से 5 ग्रहों को देख सकते हैं। (We can see 5 Slanets with Our Tiny eyes.)
- बुध
- शुक्र
- मंगल
- बृहस्पति
- शनि
उल्टा घूमने वाला ग्रह (Revolving Planet) पूरब से पश्चिम
शुक्र तथा अरुण यह ग्रह उल्टा घूमने वाले ग्रह है। जो पूरब से दक्षिण की दिशा में घूमते हैं।
प्रसिद्ध ग्रह
- सर्वाधिक घनत्व पृथ्वी का तथा कम घनत्व शनि का है।
- सबसे बड़ा उपग्रह बृहस्पति का गेनीमेड और सबसे छोटा उपग्रह मंगल का डिमोर्स है।
- सबसे तेज घूमने वाला ग्रह बृहस्पति है। जिसका दिन की अवधि में 9½ घंटे में घूमता है।
- सबसे धीमा घूमने वाला ग्रह शुक्र है। जो एक चक्कर लगाने में 249 दिन लगाता है।
- सबसे तेज परिक्रमा करने वाला ग्रह बुध लगाता है। जो 88 दिन में लगाता है।
- सबसे धीमा परिक्रमा लगाने वाला ग्रह शुक्र है, जो 249 दिन में लगता हैं।
- सबसे गर्म ग्रह शुक्र और सबसे ठंडा ग्रह अरुण, वरुण है।
गोल्डीलॉक्स जोन (Goldi Locks Zone)
अंतरिक्ष का वह स्थान जहां जीवन की संभावना पाई जाती है। उसे हम गोल्डीलॉक्स जोन (Goldi Locks Zone) कहते हैं। केवल पृथ्वी पर अभी तक जीवन संभव है। मंगल पर इसकी संभावना है। जीवन की उत्पत्ति के लिए कपास का पौधा अंतरिक्ष पर भेजा गया था।
बुध ग्रह (Mercury Planet)
इसका नामकरण रोमन संदेशवाहक देवता के नाम पर हुआ है। इस ग्रह पर वायुमंडल उपस्थित नहीं है किंतु बहुत ही कम मात्रा में यहां ऑक्सीजन पाया जाता है। वायुमंडल ना होने के कारण यह ऊष्मा को रोक नहीं पाता है। जिस कारण दिन में इसका तापमान 420 डिग्री सेल्सियस (420°C) तथा रात में 180 डिग्री सेल्सियस (180°C) तापमान हो जाता है अर्थात इस ग्रह पर सर्वाधिक तापांतर 6000 डिग्री सेल्सियस (6000°C) का देखा जाता है।
अतः यहां जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती वायुमंडल ना होने के कारण इस ग्रह पर सर्वाधिक उल्कापात हुआ है। जिस कारण वहां बहुत बड़े-बड़े गड्ढे (ग्रेटर) बने हैं। सबसे बड़ा गड्ढे (ग्रेटर) कोरोलिस बेलीन है।
शुक्र ग्रह (Planet Venus)
इस ग्रह पर सर्वाधिक मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड पाया जाता है। जो सूर्य से आने वाले सभी ऊष्मा को अवशोषित कर लेता है और उसे जाने नहीं देता जिस कारण यह सबसे गर्म तथा चमकीला ग्रह है। इसे सौरमंडल की परी भी कहा जाता है। इस पर प्रेशरकुकर के समान स्थिति पाई जाती है। जिस कारण इसे Vaulted Planet (दम घुटने वाला ग्रह) कहते हैं। यह पृथ्वी से समानता रखता है अतः इसे पृथ्वी का जुड़वा बहन जैसे आदि नाम से जानते हैं। यह अपने कक्ष पर उल्टा अर्थात पूरब से पश्चिम घूमता है। जिस कारण यहां सूर्योदय पश्चिम से होता है। यह अपने कक्ष पर 243 दिन में घूमता है। जबकि सूर्य का परिक्रमण 224 दिन में पूरा करता है। अर्थात इस ग्रह का घुरण और परिक्रमण समान है। अर्थात इस ग्रह पर एक दिन 1 वर्ष के बराबर होगा बुध तथा शुक्र के पास उपग्रह नहीं है इसके उपग्रह को सूर्य ने अपनी ओर खींच लिया है।
भोर तथा सांझ का तारा (Dawn and Dusk Star)
भोर तथा शाम के समय प्रकाश कम रहता है। इसी कारण सूर्य से जब प्रकाश आती है। तो बुध तथा शुक्र से प्रकाश टकराकर परिवर्तित होता है। इस परिवर्तित प्रकाश के कारण बुध व शुक्र चमकीले दिखते हैं। जिससे कारण बुध व शुक्र सूर्य निकट होने के कारण अधिक चमकीला दिखता है, इसी के कारण बुध एवं शुक्र दोनों को भोर तथा सांझ का तारा कहते हैं।
मंगल ग्रह (Mars Planet)
इस पर आयरन ऑक्साइड की अधिकता है। जिस कारण इसका रंग लाल दिखता है। यह 25 डिग्री (25°) पर झुका हुआ है। जिस कारण इस पर पृथ्वी के समान ऋतु परिवर्तन देखे जाते हैं। इस ग्रह पर जीवन की संभावना सर्वाधिक है। इस ग्रह पर पूरे सौरमंडल का सबसे ऊंचा पर्वत Mix Olympia है। जिसकी ऊंचाई 30,000 किलोमीटर है, जो माउंट एवरेस्ट से भी 3 गुना अधिक ऊंचा है।
बृहस्पति ग्रह (Jupiter Planet)
बृहस्पति सबसे बड़ा ग्रह है, किंतु यह गैस अवस्था में है। इस पर Sulfur dioxide की अधिकता है जिस कारण इसका रंग हल्का पीला दिखता है। यह एक मात्र ऐसा ग्रह है, जो हिमरहित है यह अपने अक्ष पर सबसे तेज घूमता है। जो लगभग 9½ घंटे में पूरा होता है। बृहस्पति के 79 उपग्रहों में से केवल 16 उपग्रहों को मान्यता प्राप्त है। इसका सबसे बड़ा उपग्रह गेनीमेड है। बृहस्पति के अत्यधिक विशालता के कारण इसे तारा सदृश्य ग्रह भी कहते हैं।
शनि ग्रह (Saturn Planet)
शनि ग्रह सबसे कम घनत्व वाला ग्रह है। इसका घनत्व 0.7 g/Cm³ है। कम घनत्व के कारण यह पानी में नहीं डूबता इस ग्रह के चारों और 7 छल्ले (वलय)वाले हैं। जिन्हें A, B, C, D, E, F, G कहते हैं। यह वलय इसी ग्रह का टुकड़ा है, जो शनि के गुरुत्वाकर्षण के कारण इसी के समीप रहते हैं। इस छल्लो के कारण ही सनी को आकाशगंगा सदस्य ग्रह कहते हैं। शनि के 62 उपग्रह में से 21 उपग्रहों को मान्यता प्राप्त है। अतः सर्वाधिक उपग्रह वाला ग्रह की संख्या में शनि का स्थान प्रथम हो जाता है। टाइटन शनि का सबसे बड़ा उपग्रह है।
अरुण ग्रह (Uranus Planet)
अरुण अपने अक्ष पर अत्यधिक झुकाव के कारण लेटा हुआ है। इसे लेटा हुआ ग्रह भी कहते हैं। द्वितीय लेटा हुआ ग्रह शुक्र को कहा जाता है। इसे आधुनिक ग्रह भी कहते हैं, उस पर मीथेन की अधिकता होने के कारण हरा दिखता है। यह अपने अक्ष पर उल्टा घूमता है। जिस कारण वहां सूर्यउदय पश्चिम से होता है। इस ग्रह के भी बाहर 5 वलय घूमते हैं। इसके 15 उपग्रह हैं जिनमें ट्रीटेनीया सबसे बड़ा उपग्रह है।
वरुण ग्रह (Neptune Planet)
वरुण सबसे दूरी पर स्थित ग्रह है। यह सूर्य का परिक्रमा लगभग 164 वर्ष में पूरा करता है। इस पर भी मेथेन की अधिकता है, जिससे यह नीला दिखता है। इसलिए इसे अरुण का भाग भी कहते हैं। इसे 8 उपग्रह है। जिसमें ट्रीटेन सबसे प्रमुख है।
नोट : आर्टिकल को अच्छी तरीके से पढ़ कर कृपया इस इमेज को अपने माइंड में इमेजिनेट जरुर कीजिए जिससे आपको अच्छी तरह से समझ में आ जाएगा की सौर मंडल में कितने ग्रह हैं?
बुध शुक्र पृथ्वी चंद्रमा मंगल बृहस्पति शनि अरुण वरुण शुद्र ग्रह |
परिक्रमण (Rotation)
ग्रह द्वारा सूर्य का चक्कर लगाना परिक्रमण (Rotation) कहलाता है परंतु परिक्रमण के कारण ही वर्ष की घटना होती है।
परिभ्रमण या घुरण (Cruising)
अपने ही अक्ष पर चक्कर लगाना परिभ्रमण या घुरण (Cruising) कहलाता है, दिन और रात की घटनाएं घुरण के कारण होती हैं।
ग्रह | परिक्रमण | परिभ्रमण |
---|---|---|
बुध | 88 दिन | 59 घंटा |
शुक्र | 224 दिन | 243 घंटा |
पृथ्वी | 365 दिन | 24 घंटा |
मंगल | 687 दिन | 25 घंटा |
बृहस्पति | 12 वर्ष | 9½ घंटा |
शनि | 29 वर्ष | 10 घंटा |
अरुण | 84 वर्ष | 18 घंटा |
वरुण | 165 वर्ष | 18 घंटा |
ग्रहों के रंग (Colour of Plants)
ग्रह | रंग |
---|---|
बुध | Grey |
शुक्र | Yellow |
पृथ्वी | Blue |
मंगल | Red + Redish brown |
बृहस्पति | Orange + White Band |
शनि | Gold |
अरुण | Blue + Green |
वरुण | Blue |
दूसरे ग्रहों पर भेजे गए कृत्रिम उपग्रह
ग्रह | कृत्रिम उपग्रह |
---|---|
सूर्य | पारक, पायनियर, आदित्य |
बुध | मेरीनर –10, मैसेनजर |
शुक्र | वेणा, वेनेश, मैग्लन |
पृथ्वी | स्तूपनिक |
मंगल | फोबोस, क्यूरोसिटी रोवर |
बृहस्पति | गैलीलियो |
क्षुद्र ग्रह | ग्रैसप्रा, इरोस |
नोट : मानव द्वारा भेजा गया पहला उपग्रह पृथ्वी की कक्षा में गया जो स्तूपनिक था। जबकि किसी अन्य ग्रह पर भेजा गया पहला उपग्रह वेनेश था। जिसे शुक्र पर भेजा गया था, जो ठोस अवस्था में रहते हैं।
Conclusion,
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_जय हिंद जय भारत
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